tag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post8879148500862993116..comments2023-06-08T15:43:55.339+05:30Comments on Kala Jagat: कलाओं पर कैसा पहरा...Uttamahttp://www.blogger.com/profile/02850421830553640513noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-17976752825499634562009-11-23T16:36:41.783+05:302009-11-23T16:36:41.783+05:30बहुत अच्छा लगा आपको पढना और आपसे दोस्ती करना..आपको...बहुत अच्छा लगा आपको पढना और आपसे दोस्ती करना..आपको अभी ठीक से नहीं जाना पर पढ़ कर लगता है की जैसे मेरे ही विचार आपकी पोस्ट में उड़ेल दिए गए हो...<br />मुझे भी स्केचिंग का बहुत शोक है.. पर अब नाजाने क्यों कुछ बनाता ही नहीं हू... हाँ दूसरों को बनाते देखना बहुत अच्छा लगता है...<br />उम्मीद करता हूँ की अगर कभी आपकी प्रदर्शनी दिल्ली में हो तो मुझे भी इसे देखने का सौभाग्य मिलेगा....<br />आप लिखती भी बहुत अच्छा है...<br />जारी रखिये...<br />मीतमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-36313061417538318432009-11-20T09:22:37.397+05:302009-11-20T09:22:37.397+05:30भाई लोगो यदि व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, कला स्वेच्छा, ...भाई लोगो यदि व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, कला स्वेच्छा, आदि ही ठीक है तो सरकार काहे बनाते हो,ट्रेफ़िक-रूल क्यों?, कपडे क्यों पहनें? यदि किसी को ( अगर ५०% को) अच्छा लगे तो वे नन्गे रहना प्रारम्भ करदें, सडक पर दायीं तरफ़ ही चलें--क्या होगा सोचो तो, आखिर आप क्यों न्यूड पेन्टिन्ग करना चाहते हैं, सभी ने नन्गे लोगो को देखा है, देखते हैं रोज़ाना अपने बिस्तर पर, तो नन्गेशरीर में क्या नई बात आप दिखलाना चाहते हैं? यदि दिखाना ही है तो कलाकार, पेन्टर अपनी ही नन्गी तस्वीर दिखाये । दिल को कन्ट्रोल करने के लिये ही तो ईशवर ने दिमाग बनाया है।<br />----क्या-क्या मूर्खता की बातें व विचार लिखते रहते हैं, विना सोचे समझे, अन्ग्रेज़ों के उधार लिये दिमाग से। shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-5849306109764548562009-11-18T22:00:41.363+05:302009-11-18T22:00:41.363+05:30" bahut hi gambhir prashan uthaya hai aapne ...." bahut hi gambhir prashan uthaya hai aapne ...ek shandar aalekh "<br /><br />----- eksacchai { AAWAZ }<br /><br />http://eksacchai.blogspot.comSACCHAIhttps://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-57781326155266936752009-11-18T19:48:39.761+05:302009-11-18T19:48:39.761+05:30अभी कुछ देर पहले ही अश्लीलता औक शालीनता पर एक लेख ...अभी कुछ देर पहले ही अश्लीलता औक शालीनता पर एक लेख पढ़ा था। बात यहाँ भी वही है कि एक व्यक्ति विशेष का नज़रिया कैसा है। अगर आपकी सोच ही ग़लत हो तो आपको सबकुछ ग़लत ही लगेगा। परेशानी ये है कि अधिकतर की सोच ही ग़लत है जोकि तेज़ी में प्रसारित हो रही हैं।Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-65998704645342272152009-11-18T13:22:40.455+05:302009-11-18T13:22:40.455+05:30उत्तमाजी,
बहुत गंभीर और दिलचस्प लेख।
संस्कृतिक लठ...उत्तमाजी,<br />बहुत गंभीर और दिलचस्प लेख।<br /><br />संस्कृतिक लठैतों की दिक्कत यह है कि वे खुद को आईने के समक्ष नंगे होते देख तो बहुत प्रसन्न होते हैं मगर अगर कहीं स्त्री ऐसा करने लग जाए तो उनको मिरचें लग जाती हैं। <br /><br />इन लठैतों की निगाह में फिदा हुसैन बहुत बड़े और महान चित्रकार हैं।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-48709526984312571492009-11-18T11:58:34.844+05:302009-11-18T11:58:34.844+05:30आपने काफी महत्वपुर्ण मुद्दा उठाया है । आज लोग समाज...आपने काफी महत्वपुर्ण मुद्दा उठाया है । आज लोग समाज में फैली उन बुराइयों को छुपाना कहते है जिन्हें हम सभी जानते है , लेकिन यदि कोई अपने कला का प्रदर्शन करता है तो उसे अश्लील बता कर रोकने की मांग की जाती है या फ़िर उससे ऐसे सवाल किए जाते है की वो अपनी कला से विमुख हो जाता है आप मेरे ब्लॉग पर आमंत्रित है http://mideabahes.blogspot.com/Saiyed Faiz Hsnainhttps://www.blogger.com/profile/08887021501639949212noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-45636709686481833442009-11-18T11:33:33.992+05:302009-11-18T11:33:33.992+05:30आर्ट और लिटरेचर के प्रति वाकई में खुले दिल और दिमा...आर्ट और लिटरेचर के प्रति वाकई में खुले दिल और दिमाग की जरूरत है....एक कलाकार को परफेक्शन तक जाने उसे अपने तरीके से काम करने की पूरी आजादी की गारंटी तो चाहिये ही, साथ उसकी कृति का आकलन भी आब्जेक्टिव तरीके से होना चाहिये...यह अलग बात है कि कलाकार अपने काम के दौरान पूरी तरह से सबजेक्टिव होता है...उत्तमा जी आपने बहुत ही साहस के साथ अपनी बातों को रखा है, आप अपना काम करती रहे, विरोधियों से दुखी होने की जरूरत नहीं है।Alok Nandanhttps://www.blogger.com/profile/08283190649809379160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-6600129145147368972009-11-18T10:57:50.858+05:302009-11-18T10:57:50.858+05:30bahut hi achcha laga aapka yeh lekh....
aaj ke I-...bahut hi achcha laga aapka yeh lekh....<br /><br /><b>aaj ke I-Next akhbaar mein prakaashit hone ke liye bahut bahut badhai.....</b>डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3096133054268368082.post-1240893721696921782009-11-18T10:06:23.682+05:302009-11-18T10:06:23.682+05:30आपने एक बहुत सोचनीय प्रसंग उठाया है जो भी आपने लिख...आपने एक बहुत सोचनीय प्रसंग उठाया है जो भी आपने लिखा है स:अक्षर सही और वाजिब लिखा है ! कलाकार के मन में उठती लहरों से अवगत करवाया है | इतनी जबरदस्त बात कही है जो यदि समाज के हर वर्ग के लोगों तक पहुंचे तो शायद अपना जोरदार असर छोड़ेगी!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.com