Saturday, May 30, 2009
एक जंग ये भी
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इंग्लिश और माडर्न यूरोपियन भाषा विभाग की ये इमारत अपने एक प्रोफेसर की वजह से अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। बढ़ी दाढ़ी और सामान्य वेशभूषा वाले प्रोफेसर अरविन्द कृष्ण मेहरोत्रा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक ऐसी कुर्सी के लिए तैयारी कर रहे हैं जो 300 साल पुरानी है और साहित्य जगत में बेहद प्रतिष्ठित। पिछले महीने वो यह जंग लड़ चुके हैं, बेशक हारे पर इज्ज़त से। ऑक्सफोर्ड में प्रोफेसर ऑफ़ पोएट्री की दौड़ उन्होंने नामचीन वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन की रिश्तेदार रूथ सोफिया पैडल से हारी। किसी आम भारतीय चुनाव की तरह पूरी सरगर्मी थी, सियासत के दाव-पेच भी थे। त्रिनिदाद के नोबेल अवार्ड विजेता डेरेक वालकोट को मैदान से हटना पड़ा क्योंकि 100 प्रोफेसरों को ईमेल भेजकर बताया गया कि वालकोट अपनी छात्रा से यौन दुर्व्यवहार में लिप्त रहे हैं। बात यहीं ख़त्म नहीं हुई, इस लड़ाई में लिप्तता के आरोप पर पहली महिला प्रोफेसर ऑफ़ पोएट्री सोफिया को भी त्यागपत्र देना पड़ा। ऑक्सफोर्ड के इस चुनाव में स्नातक वोट करते हैं, जीतने वाले को विश्व स्तर पर नाम पाने की गारंटी है। लड़ाई जैसी लड़ी गई, इलाहाबाद के उनके साथी प्रोफेसरों को हैरत हो रही है। मेहरोत्रा किस्मत के धनी हैं। इलाहाबाद में प्रोफेसर की पोस्ट के लिए लड़े और पायी। अपनी फील्ड में अपने दम पर नाम कमाया, जहाँ गए प्रतिष्ठा बढती गई। लाहौर में जन्मे अरविन्द को जो भी जानता है, उनके दमदार व्यक्तित्व की वजह से ही। मुख़र्जी रोड पर ज्योति अपार्टमेन्ट में उनका फ्लैट देखकर सादगी का एहसास होता है। पोस्ट खाली है और संभावना है कि वो फिर लडेंगे। ऑक्सफोर्ड में इंग्लिश के शिक्षक पीटर डी मैकडोनाल्ड ने अपनी वेबसाइट पर उन्हें किसी भी भाषा के श्रेष्ट कवियों में एक माना है। टेलीग्राफ में समीर रहीम ने विदेश की एक बड़ी लड़ाई में इस भारतीय योद्धा के दम पर आश्चर्य जताया है।
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17 comments:
प्रोफेसर मेहरोत्रा के बारे में पढ़कर अच्छा लगा। सचमुच जीवट हो तो ऐसा। संघर्ष का माद्दा प्रेरक है।
शुक्रिया
प्रोफेसर मेहरोत्रा के बारे में जानकर अच्छा लगा। उनका संघर्ष का माद्दा सबके लिए प्रेरक है।
जानकारी देने वाली पोस्ट, अच्छा लगा पढ़ कर
aapne bahut achchi jankari di, mujhe dukh hai ki patrakar hote hue bhi mujhe Iis ghatnakram ke baare mein pata nahi tha... thnx uttama ji....
बहुत बढ़िया कोशिश है प्रोफ़ेसर साहिब की. बहुत कम लोगो में ऐसा जज्बा होता है. उत्तम जी अपने इस बारे में जानकारी देकर अच्छा किया. जानकर ख़ुशी और गर्व महसूस हुआ.
प्रोफेसर अरविन्द के जज्बे को सलाम....
कृपया इस वर्ड वेरीफिकेशन से निजात पाएं....
प्रोफेसर अरविंद के जज्बे को सलाम....
और कृपया इस वर्ड वेरीफिकेशन की प्रक्रिया से निजात पाएं....इस वेरिफिकेशन के चक्कर में कमेंट पोस्ट करने में पसीना आ गया...........
Prof. Arvind ke baare me jaankar kaphi achcha laga.
badhiya article likha hai....ek aise jujhaaroo vyakti ke baare me jaankaari paakar achchcha lagaa...
bohot hi garv ki bat hai ki apni mittika lal oxford me ja pahucha par tikram ke aage vo age ja na saka. halaki yah news paper me aai thi. lekin aapke article se aur khulasa huva.
बधाई, डॉ.उत्तमा।
प्रोफेसर मेहरोत्रा के बारे में पढ़कर अच्छा लगा।
Prernadayak post....
prof.jee ko uneke sadhars ke liya salam....
sanjay
प्रोफेसर मेहरोत्रा के साहस एवं सम्मान को सलाम बहुत ही कम लोग होते हैं दुनिया में ऐसे उनका परिचय करवाने के लिए आपका शुक्रिया
प्रो . महरोत्रा के बारे में थोड़े दिन पहले एक अखवार में पढ़ा था . आज आपके द्वारा . प्रो. महरोत्रा साहित्य सर्जक है उनेह प्रणाम
प्रो . महरोत्रा के बारे में थोड़े दिन पहले एक अखवार में पढ़ा था . आज आपके द्वारा . प्रो. महरोत्रा साहित्य सर्जक है उनेह प्रणाम
प्रो . महरोत्रा जी के बारे पढ कर अच्छा लगा, मेरा सलाम है उन्हे, ओर आप को धन्यवाद इस समाचार को हम तक पहुचाने के लिये
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