मै एक बार फिर ब्लॉग शुरू करने जा हूँ !
दरअसल काफी दिनों मै कुछ दूसरे कम में व्यस्त थी! खासकर पेंटिंग में ! लेकिन अब एक बार फिर से ब्लॉग शुरू कर रही हूँ!
अगर आपको नए एक्सपेरिमेंट्स का शौक है और कई वैरायटी के कलर्ड पेपर, कपड़ों के टुकड़े, वाल पेपर, रिबन, शापिंग बैग्स, कलर्ड थ्रेड्स आपके पास हैं तो आप उनसे क्रिएटिव आर्ट पीस तुरंत तैयार कर सकते हैं. जरूरत है सिर्फ उन्हें एक साथ कंपोज करके पेपर पर चिपकाने की. यह कोलाज पेंटिंग टेक्निक है जिसमें एक-दूसरे से अलग मैटीरियल्स को एकसाथ जोड़कर बनाया जाता है. कोलाज बनाना एक फन जैसा है जो बहुत ईज़ी भी है. इसे कैरी करना भी आसान है.
मशहूर चितेरे मकबूल फिदा हुसैन को उनके चाहने वालों का अंतिम सलाम। कला को आम आदमी की चर्चाओं में शुमार करने वाले हुसैन का यूं चले जाना, जैसे आघात के समान है। नई सदी की शुरुआत में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, जिस दुनिया में औसत उम्र 26 बरस आठ माह हो, वहां 95 वर्ष की उम्र में दुनिया से विदाई बेशक, बड़ी बात नहीं लेकिन जब जाने वाला मकबूल हो, तो दुख का समुद्र उमड़ना लाजिमी ही है। मकबूल ऐसे ही इतने बड़े कलाकार नहीं बन गए। वर्ष 1947 में वे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हुए क्योंकि परंपराओं पर चलना उन्हें पसंद नहीं था। कोशिश थी कि बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स की राष्ट्रवादी परंपरा को तोड़कर कुछ नया करने की। लगातार नया करने की उनकी आदत ने उन्हें प्रसिद्धि की शिखर तक पहुंचा दिया। एक दिन, क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनकी एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी और वह भारत के सबसे महंगे पेंटर बन गए। आर्टप्राइस को यदि प्रसिद्धि का पैमाना मानें तो दुनिया के महंगे कलाकारों में हुसैन का मुकाम 136वां है।
पढ़ने-पढ़ाने से कुछ समय के लिए छुट्टियां. समर वैकेशन्स का अलग मजा है, खासकर आर्ट फील्ड में. यह दिन सीखने के होते हैं. समर कैंप्स तो है हीं, वर्कशॉप्स और आर्ट कैंप्स भी खूब आर्गनाइज होते हैं. इनकी इम्पॉर्टेंस है. आर्ट वर्ल्ड के खिलाड़ी यहां सीखते हैं और न्यू कमर्स को सिखाते हैं. हॉटी समर्स में कोई शहर ऐसा नहीं बचता जहां यह एक्सरसाइज न चले. हिल्स एरियाज़ की तो बात ही और है. वहां तो कला के जैसे मेले जुटते हैं हर साल. गर्मियों की छुट्टियों का सभी को बड़े दिनों से इंतजार रहता है. कइयों के दिन तो कैलेंडर में तारीखें गिन-गिनकर कटते हैं. सालभर की भाग-दौड़ से मुक्ति दिलाती हैं यह छुट्टियां. इसका क्रेज तो आर्ट वर्ल्ड में भी कम नहीं. आर्टिस्ट, स्टूडेंट्स और उनके टीचर्स काफी समय पहले से प्लानिंग शुरू कर देते हैं. इसके रीजन हैं, आर्टिस्ट इसे जहां एंजॉयमेंट के साथ ही कला सृजन का मौका मानते हैं, वहीं टीचर्स के लिए यह करियर और विजन एडवांसमेंट का जरिया है. आर्टिस्ट्स को कला रचने के लिए माहौल मिलता है, टीचर्स खुद को अपडेट करते हैं और स्टूडेंट्स महारथियों से सीखने के लिए आतुर रहते हैं. उन्हें वो प्रैक्टिकल टिप्स मिल जाती हैं जो क्लासरूम्स में पॉसिबिल नहीं. सीधी सी बात है कि लैंडस्केप को किसी इमेज से देखकर बनाना उतना इंट्रेस्टिंग नहीं जितना किसी हिल्स एरिया में जाकर. पहाड़ों का अलग मजा है, इसलिये काम का काम और ऊपर से फुलटॉस मस्ती. स्टूडेंट्स ग्रुप्स बनाकर ऐसे समर कैंप्स और वर्कशॉप्स में हिस्सा लेते हैं. आगरा से आकर बनारस में पढ़ रहा मेरा एक स्टूडेंट दोनों शहरों के अपने दोस्तों को लेकर कैंप्स में पार्टीसिपेट करता है. स्टेट कैपिटल्स रांची, पटना और
इसे कहते हैं, हमने आकाश को अपनी मुठि्ठयों में कैद कर लिया. नए जमाने के आर्टिस्ट्स ने आर्ट में भी इस तरह के एक्पेरिमेंट्स किए कि आर्ट जो कल तक मुश्किल से सुलभ थी, आज नए रंग-रूप और कलेवर में सामने है. आश्चर्यचकित
यह आड़ी-तिरछी, गोल-चौकोर यानि तरह-तरह की रेखाओं की बात है जो मिलकर आर्ट बनती हैं. शुरुआत में आर्टिस्ट इन्हीं रेखाओं को कला कहते रहे, फिर उनमें रंग भरा और कला की यह दुनिया रंगीन हो गई. रंग और रूप तभी आया जब रेखाओं से चित्र को आकार मिला. खास बात यह है कि जो आंखें कला की शान में कसीदे पढ़ने में तल्लीन होती हैं, उन्हें रेखाएं कभी-कभी दिखती तक नहीं. नवोदित से लेकर एक्सपर्ट आर्टिस्ट तक सब ज्यादातर इन्हीं रेखाओं के सहारे कला सृजन करते हैं. सच में लाइन्स यानि ड्राइंग का खेल है आर्ट का पूरा वर्ल्ड. यही स्केच वर्क सक्सेस का रास्ता भी है. मेरे लिए इस बार ड्राइंग की बात करना जरूरी है क्योंकि एक्जामिनेशन सीजन है. डेली प्रैक्टिस के बगैर कोई स्टूडेंट न तो यहां सक्सेस पाएगा और न ही, आर्ट फील्ड में स्टैब्लिश होगा. इसके साथ ही तमाम यूथ्स तैयारी में होंगे कि नया सेशन शुरू हो और हम भी आर्टिस्ट बनने की दौड़ में उतर जाएं. कला की फील्ड में आने वाले के लिए यह जरूरी है कि वह लाइन्स रचने में कमांड पाए हुआ हो. फिर कला के चाहने वालों के लिए भी यह जानना बेहद जरूरी है कि यह रची कैसे जाती है. आप करोड़ों की आर्ट खरीदकर ड्राइंग रूम में सजाएं पर जाने नहीं कि इससे पीछे कितनी मेहनत हुई है, क्या टेक्निक यूज हुई है और कलर्स कैसे इधर-उधर फैल नहीं रहे, तो आपको खुद भी शायद ही अच्छा लगे. कला की दुनिया में बिन लाइन्स सब सून. इंडिया हो या चाइना, लगभग सभी एशियन कंट्रीज की आर्ट में रेखांकन यानि ड्राइंग का इम्पॉर्टेंट रोल है. दरअसल, यही लाइन्स एशिया और यूरोप की आर्ट को डिफरेंशिएट कराती हैं. यूरोपियन आर्ट में कलर और हमारे यहां ड्राइंग को प्रॉयर्टी का रिवाज है. ट्रेन में ट्रेवल करते या किसी हिल स्टेशन पर लैंडस्केप पेंटिंग्स रचते वक्त आर्टिस्ट इसी ड्राइंग से अपनी कृति की शुरुआत करता है. लगातार चित्र बनाते-बनाते हुई ऊबन में कोई आर्टिस्ट अलग-अलग पेपर्स पर ड्राइंग शुरू कर देता है. आर्ट की दुनिया में कहा जाता है कि डेली रुटीन में ड्राइंग किए बिना ब्रश पर कमांड आ पाना पॉसिबिल ही नहीं. मकबूल फिदा हुसैन लाइन्स के मास्टर हैं. नन्दलाल बोस, बिनोद बिहारी मुखर्जी, राम किंकर बैज और न जाने कितने ओल्ड मास्टर हैं जो लाइन्स को अपनी आर्ट की पहचान बनाकर फेमस हो गए. आर्ट की फील्ड में नए-नए एक्पेरीमेंट हुए पर उन्होंने ड्राइंग नहीं छोड़ी. रविंद्र नाथ टेगोर ने भी खूब ड्राइंग कीं. उन्होंने तो जो एक्स्प्रेशन पेन और इंक की इन लाइन्स से दिखाए, वे प्रैक्टिस आर्ट न होकर पूर्ण कलाकृतियां कहलाने लगीं. लाइन्स के जरिए हम कलाकार बहुत-कुछ दिखा सकते हैं. कलर्स का चुनाव सही हो तो पेंटिंग कमाल की बनती है. कलाकारों की चलती-फिरती, सरपट दौड़ती, उमड़ती-घुमड़ती और रेंगती यही लाइन्स हैं जो पेंटिंग्स में भाव पैदा करती हैं. हम इन्हीं से इमोशंस दिखाते हैं और यही दुख-सुख, नेचर, नदी की लहरों के रूप में आनंद और बहुत-कुछ... कैनवस पर उभारने में कामयाबी दिलाती हैं. आर्ट मार्केट का मौजूदा ट्रेंड भी ड्राइंग की तरफ है. स्टूडेंट स्केच वर्क के जरिए अपना खर्च निकाल रहे हैं. शहरों में रिवर्स और मॉन्यूमेंट्स के स्केच बनाते इन यूथ्स की भीड़ दिनभर नजर आती है. आर्ट स्कूलों में उन्हें स्केच में एक्पर्ट बनाने की कवायद पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. ड्राइंग आर्ट की वह रोड है जो हमेशा भीड़ से भरी रहती है. यह जरूरी है और इसमें मौके हैं. आसानी से सुलभ, आकर्षक होने के साथ ही ज्यादा महंगी न होने की वजह से यह आर्ट हर वर्ग की पसंद है यानि इस रोड पर चलना डबल फायदे की बात है.
मेरी कलाकृतियां देखने के लिए पिकासा वेब पर मेरी गैलरी जरूर देखें-