Tuesday, June 10, 2008

स्वागत है आपका

इंतजार ख़त्म, देखिये कूंची के साथ कलम का कदमताल, एक कलाकार की कोशिश ... इस अनूठी और अजूबी दुनिया में आपका स्वागत है। मैंने कभी लिखा नहीं, पेशे से मैं लेखिका नहीं। कुछ कवितायें जरूर कर लीं लेकिन किसी घटना पर अपने भावों को काबू न कर पाने की कोशिश में। मेरा स्वभाव अंतर्मुखी है लिहाज़ा एक कलाकार के तौर पर अपने अनुभवों को शेयर करने के लिए मैंने इस मंच का सहारा लिया. कलाकार के साथ टीचर के नाते अपने छात्रों और नवोदित कलाकारों के प्रति यह मेरा दायित्व भी है। अपनी दुनिया और कला के मुरीदों से बात करना मुझे रोमांचित कर रहा है। आप सभी की सुनने का मौका मिलना मेरे लिए और भी बेहतर अनुभव होगा।

1 comment:

goodluck singh said...

kala ki yeh duniya kuch alag si lagti hai. hindustan aane ke dauraan mujhe yaad hai makbool ki ek pradarshini, laga hi nahin ki yeh kala ki saadhna hai balki dukaan bhar thi woh. is silsile par jitni jaldi viraam lage utna accha. aap teacher bhi hai, isliye munn kehta hai yeh imaandari bhara prayaas hai.

Prof. Ashraf, Noor manzil
Islamabad