Sunday, January 25, 2009

यह अनूठा संगम

अनूठी पहल थी कला के उन्नयन की। कलाजगत की मक्का बनारस में कला के फनकारों और मुरीदों का अनूठा संगम हुआ। यह प्रयास था उन प्रतिभाओं को निखारने और मंच देने का, जो अपनी कला साधना के बूते जीवन और समाज की दशा-दिशा बदलने की सोच बना रहे हैं। वो नौनिहाल भी खूब आए जिन्हें नन्हें हाथों से अपनी मासूम कल्पना को आकार देना अच्छा लगता है। उनके माता-पिता में जो उत्साह दिखा, वो जैसे संकेत था समाज में कला की बढती घुसपैठ का. लगता था कि वो अपने बच्चे के कला की और रुझान से खुश हैं। मौका था दैनिक जागरण समाचार पत्र समूह की ओर से आयोजित ड्राइंग स्पर्धा ... आओ रंग दें जिंदगी को... का। यहाँ जोश था, जज्बा था, बच्चों के धमाल के साथ बनारस हिंदू विश्वविधालय और महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के छात्रों के ट्रेंड हाथों का कदमताल भी था। लोकतंत्र, स्वतंत्रता, गरीबी, यातायात व जनसंख्या जैसे विषयों पर केंद्रित इस प्रतियोगिता में 750 से ज्यादा प्रतिभागिओं ने हिस्सा लिया। मैं वहां जज की भूमिका में थी। ख़ास बात ये थी कि बनारस में कलाजगत के कुछ चर्चित नाम भी यहाँ मौजूद थे, दर्शक के रूप में इस मेले में कला का उज्जवल भविष्य देखकर संतुष्ट और प्रतिभागिओं के उत्साह से उल्लसित।

चित्रों के साथ सम्बंधित खबरें यहाँ देखें:-
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=40&edition=2009-01-25&pageno=4
और यहाँ भी...
http://www.inext.co.in/epaper/Default.aspx?pageno=5&editioncode=5&edate=1/25/2009#

2 comments:

अनिल कान्त said...

बहुत बढ़िया लेख ....पसंद आया ...क्या बात है ...तारीफ के काबिल

अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Alok Nandan said...

अरे वाह आप जज भी बनती है, आपकी पोस्ट का इंतजार रहता है