ग्वालियर संगीत घराने के साथ ठगी की बड़ी घटना आँख खोल देने वाली है। प्रसिद्ध संगीतज्ञ स्वर्गीय पंडित रघुनाथ तलेगांकर के तबला वादक सुपुत्र केशव तलेगांकर चंडीगढ़ के भास्कर राव ऑडिटोरियम में अपनी प्रस्तुति पर अखबारों का कवरेज पड़ ही रहे थे कि उत्तर प्रदेश पुलिस के anti terrorist squad ने जैसे न केवल नींद से जगाया बल्कि सपने भी चकनाचूर कर दिए। खुलासा किया कि उनका पेइंग गेस्ट दीपांशु चक्रवर्ती ठगी की दुनिया का बड़ा खिलाड़ी है। केशव अवाक थे, पुलिस को ये सूचना देते वक्त वो रो ही पड़े कि दीपांशु ने उनसे भी 15-20 लाख रुपये उधार लिए हैं। बाद में पता कि एक दर्जन के आस-पास कलाकार उसका शिकार बने हैं। ख़ुद को united nations organisation का north india principal observer बताकर इस ठग ने रास्ट्रपति और प्रधान मंत्री की फर्जी प्रसस्ति बाँट दी। मेनका गाँधी तक को चूना लगा देने वाले इस ठग के पास से तमाम खाली प्रमाणपत्र पुलिस ने बरामद किए हैं। जितना बड़ा प्रमाणपत्र होता और जितना बड़ा उससे लाभ होने वाला होता, कीमत उतनी ही बड़ी वसूल की जाती। आगरा के बीडी जैन डिग्री कॉलेज में संगीत शिक्षक केशव तो पहले से ही स्थापित हैं पर न जाने कितने सड़क छाप लोगों को इसने रास्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय स्तर का कलाकार बना दिया। ऐसे लोगों के नाम उसने पुलिस को बताये हैं। पुलिस की जांच न जाने कितने झूठे-सच्चे कलाकारों को स्तब्ध करेगी, लेकिन असली और ऐसे रास्ते से बचे रहे कलाकारों को सावधान हो जाने की जरूरत है। हम कलाकार यूहीं सब पर भरोसा करने और किसी भी रास्ते से पायी तथाकथित उपलब्धि पर रीझना छोड़ दें, तो ही बेहतर। मेरी नज़र में तो यही सच है, कि प्रतिभा किसी के दबाने से नहीं दबती और संघर्ष एक न एक दिन जरूर रंग लाता है। मकबूल फ़िदा हुसैन ने भी तो बरसो संघर्ष के बाद मुकाम पाया है।
Thursday, February 12, 2009
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9 comments:
बधाई हो उत्तमा जी
उत्तम होगा कि अपने ब्लॉग पर अपनी पेंटिंग्स भी पोस्ट करती रहें. तलेगांव कर आगरा में ही रहते हैं. यह पोस्ट भी पठनीय और सूचनाप्रद है.
लिखते रहिए. बनारसी धुन में.
निश्चय ही यह स्तब्ध करने वाली घटना है..
कलाकारों को अपने स्तर पर विश्वास होना चाहिये और प्रश्स्ति पत्र के चक्र में पडने से पहले सब जांच परख लेना चाहिये..
ह्म्म्म पुरस्कारों का मोह बुरा होता है..
जानकारी के लिए धन्यवाद....
भौंचक कर देने वाली खबर है। इस तरह के काम करने वालों से तो लगता है कला क्षेत्र भी अब कुरूक्षेत्र से कम नहीं जहां अपने पराये, नियम-कानून, लाज-लिहाज सब ताक पर रख दिया जाता है।
वैसे अब हर क्षेत्र ही कुरूक्षेत्र बन चुका है, क्या शिक्षा, क्या मेडिसिन हर ओर ही इस तरह के लूटमार खां मिल जायेंगे।
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो कमेंट देने में आसानी हो।
खबर निश्चय ही खराब है लेकिन चौंकाने वाली नहीं है क्योंकि आत्ममुग्ध और रातों-रात यशस्वी होने की चाहत रखने वाले लोगों/कलाकारों की संख्या बहुतायत में है। ऐसे ही लोग ठगी के शिकार होते हैं। पुरस्कार पाने के लिए बहुत से धनपशु पैसा देने को तैयार रहते हैं; उसी का नतीजा है कि हर शहर में रत्न बंट रहे हैं; जैसे मेरठ रत्न, आगरा रत्न बगैरह लेकिन कोई ये जानने की कोशिश भी नहीं करता कि उन रत्नों की औकात क्या है। देने वालों का क्या स्तर और मान्यता है और लेने वालों का क्या स्तर है।...बेहतर होता कि आपने मकबूल फिदा हुसैन की जगह किसी और का जिक्र किया होता। वैसे अपनी-अपनी समझ और मान्यताएं हैं।
अच्छी जानकारी। दरअस्ल हम फर्जी सम्मान पाने के प्रयास मे यह सब करते जाते है। कुछ लोग अपना सम्मान कराने प्रमाण पत्र पाने को बडा महत्व देते हैं।
jab jaago tabhi savera...
खबर अच्छी है मगर विषय दुखद है। कलाकारों को इस हादसे के बाद ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है। बहरहाल आपका ब्लॉग नाम कला जगत के अनुरूप बहुंत ही खूबसूरत बन पडा है। आशा है कि आपके नाम के अनुरूप उत्तम खबरें कला जगत की पढते रहेंगे।
बधाई
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