Sunday, May 17, 2009

मतदाता की जय

लोकसभा चुनाव के नतीजे उम्मीद से उलट हैं, पर बेहद सुखदेय। कई डर इससे उड़नछू हो गए हैं। सियासत के लिए लाइलाज बीमारी बन रहे माफिया पस्त हुए हैं तो सत्ता तक पहुँचने के लिए बेशर्मी से अपने बयान बदल डालने वाले लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान जैसे नेता अपने बिलों में कैद होने को मजबूर। देश को मिल रही है एक स्थायी सरकार, कुछ अप्रत्याशित न हो तो पाँच साल तक चुनाव न होने की गारंटी भी। मायावती, जयललिता, शरद पवार जैसे छत्रप भी कुछ ख़ास कर पाने के काबिल नहीं बचे दिखते। पहली नज़र में चुनाव पर खर्च 10000 करोड़ बेकार नहीं हुआ लगता। यह कमाल हुआ कैसे? जाति, धर्म और अन्य नज़रों से चुनाव को देखने वाले मतदाता ने देश को इस बार अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा है। बिहार और उत्तर प्रदेश ने सियासी दलों को सबक दिया है कि वो सुधर जाएँ। नए सांसदों की लिस्ट में माफिया सूरजभान, पप्पू यादव यदि सुप्रीम कोर्ट की वजह से आउट हैं तो उनकी पत्नियाँ और मुख्तार अंसारी, अफ़साल अंसारी, अरुण शंकर शुक्ल अन्ना, अतीक अहमद, मित्रसेन यादव, डीपी यादव आदि को वोटरों ने ठुकरा दिया। साफ़ है कि वोटर अब जनतंत्र पर लाठी का राज बर्दाश्त करना नहीं चाहता। न ही उसे सत्ता की खातिर अपने वोटों की सौदेबाजी रास आई है। राजबब्बर, नफीसा अली, विनोद खन्ना, मनोज तिवारी का हार जाना भी सबक है कि ग्लेमर के बजाये अब काम चलेगा। मतदाता का जाग जाना एक उम्मीद पैदा करता है। वोटिंग परसेंटेज और बढ़ जाए तो ये जागृति क्रांति का सबब बनेगी, पूरे देश के चुनाव नतीजे यह उम्मीद पैदा करते हैं। और उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है।



यहाँ है इस पोस्ट का उल्लेख-
http://blogonprint.blogspot.com/search/label/कलाजगत

6 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

दानवीर की तो
सदा से ही है
सनातन जय।

देने वाला
जीतता है सदा
सदा भी सर्वदा भी।

यह वोट की
चोट है जो
जिसको दिया जाता है
दूसरे को चोट दे जाता है।

समयचक्र said...

मतदाता की जय हो जिनकी बदौलत राजनेता सत्तासीन होते है .

sanjay vyas said...

उम्मीद करते है कि नई सरकार भी अब उम्मीदों पर खरा उतरेगी. गेंद अब सरकार के पाले में.

Ankur's Arena said...

aapki soch aur rae sahi hai... main ittefaak rakhta hoon..
in chunavi nateezo ne sabko chaukaya hai, lekin yeh sukhad hi hai...
dalgat aur dishaheen dalon ko isse achchha sabak shayad hi bhartiye loktantra mein kabhi dekhne ko mila ho...
Gundo badmasho ke sath-sath glamour ka chola audhe kalakaron ko bhi bata diya gaya hai ki aap apne kshetra mein hi naam kamaiye, yahan aapse kuch hone nahi ja raha hai...
sahi hai, maanna padega- jai ho loktantra, jai ho janta...

dharmendra said...

aapka samaj to sadio se jaati aur dharm ke bich bta rha hai. isme ye kehna ki in chote partiyo ke netao ne bata hai aur stta ki lalch inhe rahi hai to glat hai. aap log intellectual ho aur behtrin rup se janto ho ki congress ne stta ke liye kya nahi kiya. kya stta sukh bhogne ka huq inhi do partio ho ko hai. aap yeh kyon nahi sochti ki in partio ka agar uday hua to kyun. agar inhe bhi desh ki stta me pahle se hisedari milti to yeh bhi ish raste par nahi aate. aur han janha tak baat platne ki hai to national partia kabhi kam nahi rahi hain. congress kudh kitni bar sarkar gira chuki hai.

समचार पोस्ट said...

sahi bat hai aapki, esse mai sahmat hun