दीपावली में तो हर कदम पर कला का स्कोप है. हर दिन को मनाने की अलग रस्में और वजहें हैं इसलिये अलग सेलीब्रेशन मूड है. धनतेरस को समृद्धि की चाह में खरीददारी होती है, जिसमें तमाम लोगों के शापिंग मेन्यू में कलाकृतियां भी शुमार होने लगी हैं. पेंटिंग्स हों या मूर्तियां, इच्छा होती है कि घर सालभर के लिए सज जाए. दीवाली के यह पांचों दिन सजे-धजे गुजरते हैं. रंगोली सजाने के भी यही प्रमुख दिन हैं. रंगोली का नाम अल्पना या चाहे कुछ भी हो, लेकिन यह सजाई देश के लगभग सभी हिस्सों में जाती है. मिट्टी की मूर्तियां बनाना भी तो कला ही है जो आज निम्न तबके की जीविका का साधन है. रंग-रोगन से सजी दीवारों की सुंदरता और बढ़ाने के लिए पेंटिंग्स लगाई जाती हैं. शायद यह जानकारी दिलचस्प हो सकती है कि अन्य छोटे-बड़े बिजनेसमैंस की तरह देश-भर की गैलरीज़ दीपावली की तैयारियां पहले से शुरू कर देती हैं. बड़े पैमाने पर कलाकारों से उनकी फेस्टिव थीम की पेंटिंग्स खरीदी जाती हैं. कुछ गैलरीज़ तो ऐसी हैं जो छोटे कलाकारों से बड़ों का कापीवर्क कराकर डिमांड पूरा करती हैं. कभी-कभी तो बड़े कलाकारों से इसके लिए सहमति भी ले ली जाती है. यहां भी सेल-डिस्काउंट का खेल चलता है. मेट्रो सिटीज़ की तमाम गैलरीज़ इसी फेस्टिव सीजन में सालभर की कमाई कर डालती हैं. इसी वजह से नामी-गिरामी आर्ट्स इंस्टीट्यूट्स वाले शहरों में आर्ट स्टूडेंट्स को भी काम मिल जाता है बल्कि भाग-दौड़ की कैपेसिटी वाले स्टूडेंट्स को अच्छा-खासा कमा लेते हैं.
ब्रज में जहां दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाई जाती है, गोबर के बने भगवान श्रीकृष्ण के आसपास जमकर सजावट की जाती है. मथुरा में हर साल भगवान द्वारिकाधीश के प्रसिद्ध मंदिर से थोड़ी दूर होने वाली गोवर्धन पूजा के लिए दूर-दूर से कलाकारों को बुलाया जाता है. यह कलाकार गोबर की बनी प्रतिमा को भी इतने आकर्षक ढंग से सजाते हैं कि आंखें ठहर जाएं. पूजा के समय लोकगीतों का गायन होता है. पूर्वांचल हो या बुंदेलखंड या फिर अवध, स्टेट के अन्य पार्ट्स में भी लोककलाओं के प्रदर्शन का यही वक्त है. बाहर इलेक्ट्रिक लाइटिंग की रोशनी से सजे घरों में अंदर पूजा का स्थान सजता है तो वहीं इस मान्यता के साथ कि घर में लक्ष्मी का प्रवेश होगा, खोलकर रखे जाने वाले घर के हर दरवाजे को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है. डिजाइनर दीये त्योहार की आभा बढ़ाने लगे हैं. उधर आनलाइन गैलरीज़ भी इस वक्त त्योहारों पर कलाओं से लोडेड हैं. दुनियाभर में भारतीय कला में उत्सव को पेंटिंग्स के जरिए बेचा जा रहा है. मूर्तिकारों की भी डिमांड हैं. एब्राड में रह रहे भारतीय इन पेंटिंग्स और मूर्तियों के सबसे बड़े खरीददार हैं. दीपावली के मौके पर लक्ष्मी-गणेश, देवी सरस्वती की पेंटिंग्स की सर्वाधिक डिमांड होती है, लेकिन अन्य देवी-देवताओं के साथ ही आतिशबाजी और त्योहारी सजावट की थीम की कलाकृतियां भी खूब बिकती हैं. हालांकि राधा-कृष्ण वो हिंदू आराध्य हैं जिनकी पेंटिंग्स और मूर्तियों की हमेशा डिमांड रहती है।
मेरा ये आर्टिकल यहाँ भी पढ़ें:-
http://inext.co.in/epaper/Default.aspx?pageno=12&editioncode=5&edate=10/16/2009
6 comments:
bahut hi achchi jaankari pradaan ki...aapne........
aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen........
bahut hi achchi jaankari pradaan ki...aapne........
aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen........
भारतीय त्यौहार विविध आयाम लिये आते है. कला लगभग हर त्यौहार मे दिख जायेगा. खासतौर पर दिवाली.
अच्छी जानकारी दी है आपने
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
आपकी लेखनी से साहित्य जगत जगमगाए।
लक्ष्मी जी आपका बैलेंस, मंहगाई की तरह रोड बढ़ाएँ।
-------------------------
पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।
हिन्दू त्यौहारों में कला का ही तो महत्व है .. आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
Post a Comment