
इलाहाबाद संग्रहालय में दस दिवसीय मेरी प्रदर्शनी रविवार 21 मार्च को समाप्त हो गई। दर्शकों के उत्साह को देखते हुए इसे एक दिन और बढ़ा दिया गया था। यहां मैंने अपनी कामायनी, बनारस, ट्राइब्स, नेचर और कंपोजिशन टॉपिक्स पर 39 पेंटिंग्स का प्रदर्शन किया। जयशंकर प्रसाद की कामायनी सीरीज की नई पेंटिंग्स भी इनमें शामिल हैं। कमला नेहरू रोड पर चंद्रशेखर पार्क में स्थित केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के म्यूजियम में कला प्रदर्शनी का उदघाटन पुलिस महानिरीक्षक चंद्रप्रकाश ने किया। उन्होंने कहा कि चित्रों में सजीवता है। कलाकार अपने उद्देश्यों में पूरी तरह कामयाब रहा है। विजिटर बुक में आईजी ने लिखा कि उत्तमा की पेंटिंग्स उम्दा हैं, उनसे विभिन्न प्रकार के संदेश मिलते हैं। बुक में तमाम दर्शकों ने अपने कमेंट्स लिखे हैं और कृतियों को सराहा है। अंतिम दिन वर्धा निवासी हरविलास मुत्तेमवार ने मुझे लिखकर दिया कि आपकी कला पर नजरें ठहर जाती हैं। मैं इलाहाबाद में तीन दिन रहा और तीनों दिन प्रदर्शनी देखने का लोभ संवरण नहीं कर पाया। संग्रहालय आने का यह जैसे बोनस था। संग्रहालय ने आने वाले हर दर्शक को प्रदर्शनी का ब्रोशर भेंट किया।प्रदर्शनी का कवरेज देखने के लिए निम्न लिंक क्लिक करें:-




5 comments:
आपके पेंटिग्स सच में लाजवाब हैं ।
कामायनी मेरी पसन्दीदा पुस्तक है अच्छा होता कि आप कुछ पेंटिंग इस ब्लॉग पर भी डाल देंती...
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
सतत शुभकामनायें !
कामायनी सीरीज की आपकी कुछ पेंटिंग्स मैने देखी है. आप लाजवाब पेंटिंग करती हैं
सतत कामयाबी के लिये सतत शुभकामनाएँ.
पहली बार एक आर्टिस्ट का ब्लाग देखा , ब्रुश के साथ लेखनी में भी ऐसी धार कम ही मिलती है ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें !
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