Friday, November 28, 2008

माई का नाम

मुख्तारन बीवी, पाकिस्तान का बड़ा और चर्चित नाम, हादसे से टूटने के बजाये मजबूती से खड़ा हो जाने की नजीर। 1972 में जन्मी मुख्तारन का नाम पहली बार तब सुना गया जब मुज्जफरगढ़ जिले के मीरवाला गांव में पंचायत के फैसले पर उनके साथ गैंग रैप हुआ। परम्परा के मुताबिक खुदकुशी के बजाय मुख्तारन ने उठ खड़े होने का निर्णय लिया, वो कोर्ट गयीं। मामले ने तूल पकड़ा और पंचायत के ठेकेदारों के साथ दुश्कर्मिओं को सजा-ऐ-मौत सुनाई गई।लेकिन ये सब इतनी आसानी से नहीं हुआ। तब के प्रेजिडेंट परवेज मुशर्रफ़ ने कबूल किया कि 2005 में उन्होंने मुख्तारन कि मुहिम को रोकने का आदेश दिया था क्योंकि इससे दुनिया में पाकिस्तान की छवि ख़राब हो रही थी। अब मुख्तार माई के नाम से पुकारी जा रही बीवी अबलाओं का सहारा हैं। देश-विदेश से उन्हें आर्थिक मदद के ढेर लग रहें हैं। वो 900 स्टूडेंट्स वाले चार स्कूल चला रही हैं. सबसे ज्यादा नाम उनकी helpline, वूमेन शेल्टर और विमेंस crisis सेण्टर का हो रहा है। बटवारे के बाद गंगानगर से गए एक इसाई परिवार की साजिदा भी उनके विमेंस शेल्टर में है। वो अपने भाई के हाथों 1200 dollars में बेचने की कोशिश से बचने के बाद यहाँ पहुँची हैं. भाई जहाँ उसे दलाल को बेचना चाहता था, वहीँ दूसरे दो भाई मारना. साजिदा ने आटे में नींद की गोलीँ मिलकर बनाई रोटी उन्हें खिलायीं और ख़ुद रफू-चक्कर हो गई। वो माई के अभियान की हिन्दुस्तानी साझीदार है। गंगानगर से आई ख़बर के मुताबिक पिछले दिनों यहाँ से गए कुछ परिजनों से साजिदा ने माई के साथ जल्दी भारत आने की जानकारी दी है।

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