Friday, April 3, 2009
तिब्बत की कला
ये तस्वीर का दूसरा पहलू है और 50 साल से तिब्बत के आन्दोलन को हर तरह से कुचल रहे चीन का दूसरा चेहरा। चीन हर साल तिब्बत की कला से करोड़ों युआन का ढेर लगा रहा है। जितने जतन वो अपनी कला सामग्री बेचने के लिए करता है, उससे कम मेहनत तिब्बती कला के लिए नहीं करता। भारत और चीन के बीच एक ऐसी साझेदारी यहाँ विकसित है, जिसकी ओर आसानी से ध्यान नहीं जा पाता। दर,असल तिब्बत का भारत से गहरा नाता है। 1959 में जब चीन ने तिब्बतिओं पर कहर बरपाया, भिक्षु मारे और मन्दिर-मठ ध्वस्त किए, तब तिब्बती जनता के धर्मगुरु चौदहवें दलाई लामा ने भारत में शरण ले ली। उनके साथ लाखों तिब्बती भारत में शरण पाये हुए हैं। बहरहाल तिब्ब्बत की कला वाकई शानदार है। मुझे पिछले दिनों सारनाथ में इस कला और इसके रचनाकारों से रूबरू होने का मौका मिला। तिब्बतियन बुद्धिस्ट आर्ट देखकर आध्यात्म से साक्षात्कार होता है। 12 वीं सदी की कला शैली जैसे लकड़ी में जान डाल देती है। आँखें बंद करने पर मन बौध्य काल में पहुँच जाता है। भगवान् बुद्ध और बोधिसत्वों को कलाकारों ने जीवंत कर दिया है। 10 गुणा 60 सेंटीमीटर के वुड पीस में यह कलाकार कमाल रच डालते हैं। 24.5 गुणा 72 सेंटीमीटर के साइज़ में मैंने एक अदभुत रचना देखी, जिसके कवर पर तिब्बती अक्षर ...ka... का अंकन लाल प्रस्ठभूमि में सुनहरे रंग से किया गया है। संग्रहकर्ता ज्योंघाऊ तसाइ इससे तिब्बती कला का आधार ग्रन्थ बताते हैं। उनके मुताबिक, ka अक्षर संकेत है कि कला की इस तिब्बती शैली की शुरुआत इसी ग्रन्थ से होती है। तसाइ न्यूयार्क की एक कंपनी के प्रतिनिधि हैं जो अपनी गैलरी में बौध्य कला को ज्यादा इम्पोर्टेंस देती है। वो बताते हैं कि तिब्बती कला के प्रमोशन में चीन खासी भूमिका निभा रहा है। भारत में रहकर कलाकृति बना रहे कलाकारों से भी उसे परहेज नही, मतलब सिर्फ़ कमाई से है। भारत के स्तर से भी पर्याप्त मदद हो जाती है। मामला विवादित न हो तो वो सीमा पार ले जाने में रोक-टोक से बचता है। तसाइ के साथ १२ कलाकारों का दल भी भारत आया है, जो धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में भी पड़ाव डालेगा।
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4 comments:
वास्तव में अनूठी है तिब्बती कला.
उत्तमा जी, तिब्बती कला के बारे में उपयोगी जानकारी आपने दी है. वहां जिस तरह के हालात हैं, वो उनकी कला में भी उकरे हुए नजर आते हैं. बहुत धन्यवाद
hello uttama ji,
maine aap ka yah article padha, bahut achcha lagaa. ...Tibetian arts ko promote karta hua yah lekh 'gaagar me saagar' jaisa hai.
uttamaji, sadar namskar
upyogi jankari ke liye abhaaar. kripya likhte rahiye
bhanu pratap singh
www.bhanuhindustan.blogspot.com
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