Wednesday, July 1, 2009
आंखों में धूल
किसे यकीन होगा कि राष्ट्रीय महत्त्व की तमाम एतिहासिक पेंटिंग्स आसानी से चोरी हो जायें और इसका किसी को पता भी बरसों बाद चले। लेकिन आंखों में इस तरह से धूल झोंकी गई है केरल के थिरुअनंतपुरम के पास किलिमनूर पैलेस में। प्रख्यात हिन्दुस्तानी पेंटिंग आर्टिस्ट राजा रवि वर्मा के इस जन्मस्थल में बने घरेलू संग्रहालय में उनका एक भी मूल चित्र नहीं है। करीब तीन सौ साल पुराने इस किले में जो कुछ हुआ, शर्मनाक के साथ ही कला के साथ सरासर खिलवाड़ है। किलिमनूर पैलेस ट्रस्ट ने गैलरी को 75 पेंटिंग्स सौंपी थीं, जिसमे 50 ही बाकी बची थीं। अब ख़बर आई है कि यहाँ मौजूद सारी पेंटिंग्स मूल कला का कॉपी वर्क है यानि असली पेंटिंग्स को गायब कर नकली बनाकर रख दी गई हैं। ख़ास बात ये है कि कोई ब्रोशर भी उपलब्ध नही जिससे इसकी जांच हो जाए कि कितनी और कौन सी पेंटिंग्स गैलरी को मिली थीं। ट्रस्ट जो आंकडा दे रहा है, उसके मुताबिक 43 पेंटिंग्स श्रीचित्र आर्ट गैलरी में हैं, दो कोजीकोड आर्ट गैलरी और 10 उसके स्टोर में। दुस्साहस देखिये, राष्ट्रीय महत्त्व की इन पेंटिंग्स में दो की लन्दन में नीलामी करके लाखों रुपये कमा लिये गए। Antiques and Arts Treasure Act, 1972 के तहत इस तरह के कला दिग्गजों की कृतियाँ अन्य देशों में नहीं ले जाई जा सकतीं। ट्रस्ट मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है, उसकी ओ़र से पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी गई है। पर लगता नहीं कि कुछ होने जा रहा है। इस तरह के खिलवाड़ और फिर उस पर लीपापोती का ये नया मामला नहीं है, संग्रहालय स्टाफ यूनियन की अपील पर हाईकोर्ट ने कमेटी बनाकर सारी वस्तुओं की तीन माह में जांच कराकर रिपोर्ट देने को कहा था, पर चार साल बाद भी इस दिशा में एक भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। रामायण और महाभारत जैसे हिंदू महाग्रंथों को अपनी कला में उकेरने वाले रवि वर्मा का जन्म किलिमनूर के शाही परिवार में 1848 में हुआ था। भारत में पहली बार फ्रूट आयल कलर का इस्तेमाल करने वाले इस कलाकार ने ज्यादातर दक्षिण भारतीय महिला की थीम में हिंदू देवियों का चित्रण किया, दुष्यंत-शकुन्तला और नल-दमयंती के उनके चित्रण को हिन्दुस्तानी कला में मील का पत्थर माना जाता है। हालाँकि इसे ज्यादा दिखावटी और संवेदनशील बताकर इसकी आलोचना भी होती है। आरोप ये भी है कि राजा रवि वर्मा ने वेस्टर्न आर्ट स्टाइल में भारतीय पौराणिक पात्रों का चित्रण किया। बेशक बेजोड़, इस कलाकार को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। 1873 में उन्हें वियेना में सम्मानित किया गया था जब किसी भारतीय का विदेश में सम्मान मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन था। केरल से वास्ता रखने वाले कलाकार सुरेश नायर हैरत जताते हैं, उनका कहना है कि हम जिसे असली समझ कर प्रेरणा लेते रहे, उसके नकली होने कि ख़बर से धक्का लगा।
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15 comments:
बेहद दुखद हालात हैं
हर जगह हेराफेरी .. आज के युग में पैसी ही सबकुछ हो गया है .. किसी की भावनाओं और भविष्य से खिलवाड करना कोई मुश्किल काम नहीं।
ऐसे हालातों में बदलाव की पहल की जानी चाहिए... थोड़ी समझदारी की आवश्यकता है।
बहुत ही शर्मनाक बात है इस तरह की बातों से देश की छवि भी धूमिल होती है । एक सलाह है कि आप इस वर्ड वैरिफ़िकेशन को हटा दे इससे कमेंट मे परेशानी आती है ।
Really shocking but i m worried perhaps no any media house has published it...
मैं तो अभी तीन-चार साल पहले त्रिअनन्तपुरम गयी थी वहाँ राजा रवि वर्मा की पेंटिंगस देखी थी मन खुश हो गया था लेकिन क्या पता था यह सब नकली है। बड़ा ही दुखद प्रसंग हैं। हम पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जानकारी देने के लिए आभार।
जब सरकार ही चोर उचको की हो तो यह सब तो होगा ही,
बेहद शर्मनाक घटना है....जानकर काफी आघात पहुंचा है....क्या देश के किसी हिस्से में ईमानदारी का अवशेष मात्र भी शेष बचा है....
बेहद निन्दनीय कृत्य है, दर्शको को धोखा देने से क्या फायदा। जब ऐतिहासिक धरोहरो की सुरक्षा नही कर सकते तो संग्रहालय खोलना व्यर्थ है।
article achha he.badi mehnat he. we are agreed with the writer.
सादर,
माणिक
manik
सदस्य,राष्ट्रीय कार्यकारी समिति, स्पिक मैके
आकाशवाणी उद्घोषक,
विभागीय अध्यापक,
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बेहद निन्दनीय और शर्मनाक....
और हमारे मीडिया ने तों इस खबर को एक बार भी नही दिखाया.... खैर उन्हें इसमें टी आर पी नही नज़र आई होगी....
Himanshu Dabral
आपका लेख सभी देश वासियों के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है!
हिन्दी ब्लॉग नेटवर्क पर अपना ब्लॉग बनायें और अपने उत्कृष्ट लेखों की कीमत वसूल करें। आप अपना मौजूदा ब्लॉग वहां इम्पोर्ट कर सकते हैं।
yah nitant dukhdayi ghatna hai.sk janch avasha honi chahiye par mujhe nahi lagta aishe halat me koi bhi sanstha nispaksh janch karegi.
हैरत में हूँ
ऐसा कैसे हो सकता है ?
मीडिया ने ऐसी खबर की अनदेखी कैसे कर दी ?
कितने अफ़सोस की बात है हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को भी संभाल कर नहीं रख सकते !
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
विवरण पढ़कर बहुत afsos हुआ. nishchit रूप से kendreey anveshaN sansthaan द्वारा jaanch की jaani चाहिए. abha
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