Wednesday, July 15, 2009

कला जगत के नए स्ट्रोक्स

कला जगत में धोखाधडी की घटनाएँ बढ़ रही हैं। जाने-माने पेंटिंग आर्टिस्ट राजा रवि वर्मा की तमाम ओरिजनल पेंटिंग्स चुराए जाने से पहले भी कला की दुनिया ऐसी हरकतें झेलती रही है। लिओनार्दो दा विन्ची की प्रसिद्ध कृति मोनालिसा भी कई बार चोरी हुई। अपने इंडियन आर्टिस्ट मकबूल फ़िदा हुसैन का कॉपी वर्क देश-विदेश में असली कहकर धड़ल्ले से बिकता रहा है इसे क्या कहेंगे जब कलाकार खुद ही ऐसा काम करना लगें एक बड़े कलाकार को मैं जानती हूँ, उनके घर में पेंटिंग्स बनाने की फैक्ट्री है नए लड़के पेंटिंग्स बनाते हैं, यह महाशय उन पर साइन मार देते हैं फिर यह कृति उनकी बनकर ऊँचे दामों में बिकती हैं उनके बिजनेस का टर्नओवर करोड़ों में है। एक पेंटिंग के लिए वो इन लड़कों को एवरेज 1500 से 2000 रुपये देते हैं जबकि कमाते हैं लाखों में पक्की खबर है कि तमाम बड़े कलाकार उनकी जैसी ही राह पर चल रहे हैंजहाँ पैसा है, वहां ऐसी घटनाएँ तो होंगी ही लेकिन इसके प्रोफिट और लॉस क्या हैं? स्थापित हो चुके कलाकार तो कमा रहे है पर नए कलाकारों का भविष्य कैसा है? जो लड़के मुंबई, दिल्ली, बनारस या कहीं और मेहनत से पढ़ रहे हैं, उनके लिए कैसी उम्मीदें हैं?
ओरिजनल पेंटिंग्स की चोरी, कॉपी वर्क की धड़ल्ले से बिक्री जैसी इन घटनाओं से बाएर्स का भरोसा टूट रहा है। लोग अब बड़े कलाकारों के बजाय नए और काबिल कलाकारों को प्राथमिकता देने लगे हैं। उन्हें लगता है कि बड़े कलाकार की कला के नाम पर पैसा लुटाने से बेहतर है नया, ताजा और ईमानदार काम खरीदा जाये रिसेशन के दिनों के आंकडे गवाह हैं कि जब विदेशों के साथ-साथ मुंबई, दिल्ली की गैलरी खाली चल रही हैं, लोगों ने बड़े कलाकारों पर नयों को तरजीह दी है बड़े कलाकारों की पेंटिंग्स तमाम एक्जिबिशन्स से बिना बिके लौट आई हैं इसी वजह से कई बड़े नामों ने गैलरी बुक तो करायीं लेकिन शो से कन्नी काट गए या फिर फोर्मलिटी ही पूरी की कहीं-कहीं तो उम्मीद से काफी कम पेंटिंग्स बिक पायीं वहीँ, विजुअल आर्ट्स के स्टूडेंट्स तक अपना खूब काम बेच रहे हैं एक एक्जीबिशन पर वो गैलरी का रेंट, कट्लोग प्रिंटिंग आदि पर एवरेज 8000-9000 रुपये खर्च करते है और इसका कई गुना तक कमा लाते हैं कुछ स्टूडेंट्स तो अपने काम के बल पर गैलरी से शो स्पोंसर कराने में कामयाब हो जाते हैंप्राइवेट गैलरी आदि से मिलने वाले अवार्ड्स से कमाई के साथ ही उत्साहवर्धन भी हो जाता है। यह सब पढाई के साथ उनका बोनस है
ख़ास बात ये है कि स्टूडेंट लाइफ में ही हाथ-पैर मारने का जो नया क्रम चला है, उससे कला जगत का ट्रेंड भी काफी-कुछ बदल रहा है ये लोग अब कैनवास पर कूंची चलाने के साथ ही इन्टरनेट पर भी काम करते हैं। इनकी कई-कई ऑनलाइन प्रोफाइल्स हैं, जिनके जरिये कला की दुनिया से निरंतर संपर्क बना रहता है यह बराबर ऑनलाइन शोज़ में पार्टीसिपेट करते हैं। आये-दिन इनका काम बिकता रहता है घर से पढने के लिए आई राशि से बचाकर पहला शो करने वाले कई स्टूडेंट्स अब क्रेडिट कार्ड्स रखने लगे हैं ताकि ऑनलाइन शोज़ में भाग ले सकें यह आर्ट वर्ल्ड की खबरों पर बारीकी से नज़र रखते हैं जिससे कोई मौका चूक न पायें सीनियर होते-होते इनकी अच्छी-खासी कमाई होने लगती है। ऐसा लगभग सभी बड़े संस्थानों में हो रहा है इंडिया में पेंटिंग्स और अन्य विजुअल आर्ट्स का बिजनेस बहुत बड़ा है। इंटीरियर डेकोरेशन का क्रेज अब आम लोगों तक पहुँच चुका है। इंटीरियर डेकोरेशन में पेंटिंग्स, स्कल्पचर, पाटरी और सेरामिक्स का जमकर यूज़ होता है। लगता ही नहीं कि ललित कलाओं के बिना इस तरह का डेकोरेशन पूरा माना जा सकता है जब बड़े कलाकारों का क्रेज इसी तरह कम होगा और लोग कम पैसों में यह सजावट चाहने लगेंगे तो तय है कि लाभ नए कलाकारों तक और तेजी से आने लगेगा। बड़े आर्टिस्ट्स पर भरोसा टूटने के बाद यह सिलसिला शुरू हो भी चुका है कलाकारों की नयी पीढी समझने और महसूस करने के साथ ही इसका लाभ उठाने की कोशिश करने भी लगी है

मेरा
आर्टिकल i next newspaper के सभी संस्करणों में दिनांक 15 july 2009 के अंक में भी पढ़ें-
http://inext.co.in/epaper/Default.aspx?pageno=16&editioncode=1&edate=7/15/2009

13 comments:

Udan Tashtari said...

आभार इस आलेख को बांटने के लिए.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

धन्य हैं एसे महान कलाकार जो दूसरों से पेंटिग बनवा रहे हैं...इन सज्जन का मार्केटिंग गैंग ज़रूर बहुत पुख्ता होगा...

श्यामल सुमन said...

हर क्षेत्र में गोरखधन्धा का प्रवेश हो जाना दुखद है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

धिक्कार है, ऐसे महान कलाकारों को।

Chaaryaar said...

Mahan kalakaron ki krition ko unke strok se pahachana jata hai.Amrita shergil, Manjeet Bava jaise kisi bhi bade kalakaar ki rachana ko painting ke kone men naam dekh kar nahin jana jata. Jinko autograph jutane ka shauk ho unki bat digar hai.
Filmon men Geet likhane ka theka Sameer lete hain.Gana unka daftar likata hai. Vahan brand bikata hai. Aur brand dekhane vale monogram ki kimat chukate hain. Mat bhulie, MF Husain kabi cinema ka sixsheeter (poster) rangate the.
Aap janate hain Baptism of Christ kiski painting hai? Leonardo d Vinci ki hai. Usi Vinci ki jisne The Last Supper banai. MONALISA rachi. Baptism of Christ ne unko mashoor nahin banaya. The Last Supper aur MONALISA unki mahan rachanayen hain kyonki Charch ke khilaf jakar unhone inmen Christ ke bajay AADMI ki chavi ukeri aur vah bhi ekdam bindaas.Jokhim uthaya to naam kamaya. Renaissance movement se khud ko joda. Keval painting banaii aur bechi nahi. unki rachana Armani ka kurta aur varsache ka chashma nahin tha. use bechane ke liye kisi cine taarika ke jism ki jaroort nahin.Jo kala ki dukaan mai honge unhe baajar tai karega. Sahir Ludhiyanavi jaise kam hote hain jo apani sharton par baajar ko tai karen.

Arvind Mishra said...

सचमुच खबरदारिया रपट -चिंताजनक भी !

naresh singh said...

कला के काम मे भी घपला , मन खट्टा हो गया पढकर ।

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

विश्वसनीयता इमानदारी और सत्यता हम तो अभी तक यही समझते थे की इस क्षेत्र मेंमें इन च्जो का अव्हाव अभी नहीं हुआ है पर आज पता लग गया की यहाँ भी येसा होता है दिल दुखी है सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

भारतीय कलाकार विदेशी आर्ट ओक्शनोँ मेँ काफी ऊँचे दामोँ मेँ बिक रहे हैँ - उनकी कृतियोँ को वेरीफाई करना भी आवश्यक हो गया है
( Buyer , be warned )
( आपकी खबर से सम्भलकर )
- लावण्या

आशेन्द्र सिंह said...

एक तरफ तो आपने इतना महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है वहीं इसे गोल -मोल बातों में घुमा दिया है. ऐसे लोगों के चेहरे से नकाब हटना चाहिए. आप को बेखौफ़ हो कर इन का नाम सामने लाना चाहिए. एक सामायिक मुद्दा सामने लाने के लिए बधाई. इस पर बहस जारी रहे

आशेन्द्र सिंह said...

एक तरफ तो आपने इतना महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है वहीं इसे गोल -मोल बातों में घुमा दिया है. ऐसे लोगों के चेहरे से नकाब हटना चाहिए. आप को बेखौफ़ हो कर इन का नाम सामने लाना चाहिए. एक सामायिक मुद्दा सामने लाने के लिए बधाई. इस पर बहस जारी रहे

निर्मला कपिला said...

यूँ तो आजकल कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमे चोरी ना हो मगर ये बडे कलाकारों दुआरा हो ये तो और भी चिन्ताजनक और शरमनाक है इस जानकारी के लिये आभार

vnarayan said...

aapka blog achha laga. kuchh paintings bhi post kijiye to shayad blog me anand aa jaye.

vijay narayan singh