Thursday, September 9, 2010

मोनालिसा! वाह, क्या बात है !


मोनालिसा का नाम किसी इंट्रोडक्शन का मोहताज नहीं. विजुअल आर्ट वर्ल्ड की सबसे फेमस रचना मोनालिसा एक आइकान है. मिस्ट्री से भरी हुई आर्ट की एक हिस्ट्री है, जो खूबसूरती की ओर सभी का ध्यान तो खींच लेती है लेकिन अपनी असली पहचान और टेक्नीक न बताकर रहस्य का अनूठा संसार गढ़ देती है.हर बार रिसर्च का सब्जेक्ट बनती है लेकिन निष्कर्ष निकलने के बजाए फिर अबूझ रह जाती है. मोनालिसा के बारे में बात करने या उसे देखने से एक रोमांच पैदा होता है. खास बात यह है कि यह रोमांच बहुत पुराना है लेकिन हर चर्चा में नया हो जाता है. मोनालिसा सिर्फ एक बार रची गई, पर बड़ा समय बीतने के बाद भी पुरानी नहीं हुई. खूबसूरती का नायाब माडल ही तो यह है कृति तभी तो अपनी तुलना मोनालिसा से किए जाने पर कोई भी गर्ल इठलाए बिना नहीं रह पाती.
आयल कलर्स से वुडेन बोर्ड पर बनी पेंटिंग मोनालिसा फ्रांस के लूव्र म्यूजियम में सुरक्षित है. बुलेटप्रूफ केस में सुरक्षित इसी मोनालिसा को देखने हर साल 60 लाख से ज्यादा टूरिस्ट फ्रांस आते हैं. तस्वीर को बचाए रखने के लिए एक ख़ास किस्म के शीशे के पीछे रखा गया है जो न तो चमकता है और न टूटता है. मोनालिसा यूं ही खास नहीं बन गईं. बहुत कम लोग जानते होंगे कि चित्रकला में भी टेक्नीक्स का सावधानी से प्रयोग होता है. कलर्स काम्बिनेशन से लेकर लाइट इफेक्ट्स तक का यूज उसकी क्वालिटी तय करता है. इटैलियन आर्टिस्ट लिओनार्दो द विंची ने अपनी इस कृति में माडल की फेस शेप, लाइट इफेक्ट और बैकग्राउंड में लैंडस्केप के तालमेल से मिस्ट्री पैदा की है. उन्होंने वस्तुओं के फीके रंगों का इस्तेमाल किया और लाइट की रेज को तोड़कर माडल के चेहरे को उभारा. लाइट इफेक्ट में स्मोकी कलर्स डाले गए हैं. महान चित्रकार ने 40 बेहद बारीक परतों को कलई अपने अंगुलियों से चढ़ाकर चेहरे को आभा प्रदान की जो विभिन्न रंगों का एक्सीलेंट मिक्सचर है और मोनालिसा के फेस के इर्द-गिर्द धुंधला प्रकाश और छाया प्रदान करता है. एक्सपर्टनेस इतनी है कि चेहरे की मुस्कान लुका-छिपी के खेल के समान लगती है. एक पल में यह मोनालिसा के चेहरे पर नजर आती है और दूसरे ही पल सीधे देखने पर गायब हो जाती है. इसी रहस्यमयी मुस्कान के कारण मोनालिसा को संसार में नारी की सबसे सोफिस्टीकेटेड इमेज माना गया है. कहते हैं कि मोनालिसा की इसी फेमस स्माइल लाने के लिए विंची ने दो बेटों की मौत से दुखी ईसाबेल को हंसाने के लिए कामेडी ड्रामा दिखाए। लंबे समय बाद हल्की सी मुस्कान आई जो विंची ने कैनवस पर उकेर दी. कमाल की बात है कि करीब पांच सौ साल पहले यूज हुई यह टेक्नीक इतनी रेयर है कि साइंटिस्ट ग्रुप ने एक्स-रेज की मदद से इन्हें तलाश किया. मिस्ट्री पैदा करना उनका मकसद भी था तभी तो माडल का नाम छिपाए रखा.
ढेरों प्रयास हुए पर पता नहीं चला कि यह असल में किस महिला का चित्र है? माडल कौन है? फ्रांसीसी लेडी लिसा घेरार्दिनी या मिलान के ड्यूक की पत्नी ईसाबेला? कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि विंची को यदि महिला रूप में देखा जाए तो मोनालिसा जैसे दिखेंगे. यह लोग मानते हैं कि विंची ने इमैजिनेशन और टेक्नीक के प्रयोग से अपना सेल्फ पोट्रेट रचा है. आर्ट वर्ल्ड में आने के बाद किसी भी स्टूडेंट की पहली मुलाकात मोनालिसा से होती है. आर्ट पर उसकी नालेज का पता लगाने के बाद कभी टीचर क्वेश्चन पूछ लेता है तो कभी क्यूरोसिटी की वजह से वह खुद जानकारी चाहता है. आर्ट की हर लाइब्रेरी में ढेरों किताबें विंची की इसी कृति के बारे में बताने के लिए मौजूद होती हैं. मोनालिसा इतनी बड़ी आइकान है कि ढेरों लड़कियों के नाम उस पर रखे गए. यही नहीं, इंडिया में मोना और फारेन कंट्रीज में लिसा नाम इसी प्रसिद्धि के हिस्से माने जाते हैं. मोनालिसा नाम रखने के लिए रिलिजन या कास्ट या कंट्री, कोई मायने नहीं रखता. यह नाम बियोंड बाउंड्रीज है. मुझे याद है कि दिल्ली आर्ट कालेज में एक साल मोनालिसा नाम की स्टूडेंट ने मुंबई में एक आर्ट कम्टीशन जीता था, वह भी मोनालिसा की कापी करके. तीन साल में बनी विंची की मोनालिसा की हजारों बार कापी की गई. यही नहीं, कई कापी वर्क तो असली बताकर कई म्यूजियम्स में एक्जीबिट हैं. मार्केट में डिमांड है इसलिये ही तो देश-विदेश में तमाम कलाकार इसकी कापी करके लाखों कमा लेते हैं. स्टूडेंट बार-बार कापी करते हैं ताकि उनकी आर्ट में परफेक्शन आए. टीचर्स के लिए यह अपने स्टूडेंट्स को टेक्नीक पढ़ाने का जरिया है. दा विंची की बायोग्राफी लिखने वाले जियर्जिओ वसारी का कहना था, with a nebulous atmosphere of mystery, has become almost more famous than the artist himself. जितने लोग उसके रचनाकार विंची को जानते हैं, उससे ज्यादा मोनालिसा के मुरीद हैं. विंची सिर्फ फेमस हुए पर मोनालिसा अमर है. पांच सौ साल के लंबे समय में यह नाम प्रतिदिन ज्यादा चर्चित होता रहा है और होता रहेगा भी. आखिरकार मोनालिसा सिर्फ मोनालिसा है.

1 comment:

Dr.Uma Shankar Chaturvedi said...

aap kaa blag dekhakar prabhaavit huaa saatha hi aap ke sanghars se.