Friday, March 11, 2011

ब्रश के बिना भी आर्ट वर्ल्ड !

देखते ही देखते चित्रकला की दुनिया कितनी आगे पहुंच गई. उम्मीद से तेज प्रोग्रेस हुई है इस फील्ड में. पहले मीडियम लिमिटेड थे, इमैजिनेशन को उनकी ही बदौलत आकार देना होता था पर अब मीडियम बहुत है. आप जिस पेंटिंग को देख रहे हैं, वह जरूरी नहीं कि महज ब्रश पर हाथों की कमांड का कमाल हो. हो सकता है कि उसे बनाने के लिए आर्टिस्ट ने ब्रश यूज ही नहीं किया हो बल्कि डिफरेंट टूल से वो पेंटिंग बनाई हो. पहले महीनों-बरसों भी लग जाते थे एक पेंटिंग के बनने में, वो पेंटिंग शायद बहुत कम समय में बनी हो. बड़े बदलाव आए हैं कला की दुनिया में. टेक्निक में प्रोग्रेस की जो खबरें पहले इंडिया आने मे बहुत देर ले लेती थीं, वह अब इंटरनेट की बदौलत कुछ मिनिट्स में सुलभ हैं. आर्ट वर्ल्ड में चेंजेंस का सबसे बड़ा रीजन भी यही है. करीब 12 साल पहले दिल्ली की एक गैलरी में एक्जीबिशन लगी थी, टॉपिक था चेंज इन द वर्ल्ड. आर्टिस्ट ने ब्रश का यूज किए बिना सारी पेंटिंग्स बनाई थीं पर ज्यादातर में हाथ का इस्तेमाल हुआ था. अंगुलियों से तरह-तरह की इम्प्रेशन देकर उसने अपनी कला सजाई थी. यह इंडिया के लिए नयी बात थी. इसके बाद आज तक तो जैसे सब-कुछ बदल जाने को बेताब है.
फेमस आर्टिस्ट रामेश्वर बरूटा अपनी पेंटिंग्स में एक-एक करके अलग-अलग रंगों की परत लगाते हैं और फिर, जो रंग चाहिये उसे खुरच कर निकाल लेते हैं ताकि पेंटिंग्स में कई लेयर्स के साथ ही मनचाहा कलर इफेक्ट आ जाए. ब्लेड्स इसके लिए यूज होते हैं. जयपुर के एक कलाकार ऐसी पेंटिंग्स बनाते हैं जिनसे तीन साल तक फूलों की तरह खुशबू निकलती रहती है. लंबे समय तक खुशबू के लिए वह मेंहदी, गुलाब और खस के सेंट का यूज करते हैं. आर्टिस्ट्स छोड़िए, आर्ट स्टूडेंट कमाल दिखा रहे हैं. कैम्लिन अवार्ड विनर स्टूडेंट ने अपनी पेंटिंग में छोटे बाथरूम वाईपर का यूज किया. इन्हीं अनूठे बदलावों का ही एक्जाम्पल है, धुएं से बनी पेंटिंग्स. इस तरह की पेंटिंग्स में रंगों और ब्रशों की बजाए लौ के ऊपर कैनवस को घुमाकर पेंटिग को बनाया जाता है. लय यानि रिदम का कमाल है यह पेंटिंग्स. इस तरह की पेंटिंग्स के लिए बहुत ज़रूरी होता है कि इन्हें एक ही बार में बना लिया जाए. हमेशा एलर्ट भी रहना पड़ता है कि कितनी लौ चाहिए. कभी-कभी तो कैनवस के जलने का भी ख़तरा रहता है. एक नवोदित कलाकार को मैं जानती हूं जो स्क्रबिंग ब्रश का भरपूर इस्तेमाल करता है. कैनवस पर पेंट करने के बाद वह इस ब्रश की सींकों से अलग इफेक्ट दिखाता है. एक स्टूडेंट ट्रांसपेरेंट टेप से कैनवस का वह हिस्सा छिपा लेता है जिस पर बाद मे उसे दूसरा रंग देना होता है. उसकी यह टेक्निक पानी पर बिखरे फूलों की शानदार पेंटिंग बना देती है. एक स्टूडेंट हाथ की अंगुलियो में तीन पेंसिल फंसाकर स्केच बनाता है और बाद मे उसमें रंग भरता है. म्यूरल इफेक्ट के लिए रंगों के गोलों को दूर से कैनवस पर फेंकना भी इसी तरह की टेक्निक है. फैन की तेज हवा, फाउंटेन पेन इंक के ड्राप्स, बाउल्स-स्पून्स औऱ न जाने क्या-क्या, आर्ट की दुनिया इस समय बदलाव की स्टोरी लिखने में लगी है. उसके नए मेंबर्स ज्यादा सोच और रच रहे हैं जो स्टैब्लिश्ड आर्टिस्ट्स के लिए चुनौती हैं. इसी का नतीजा है कि स्टूडेंट लाइफ में बात पॉकेट मनी और पढ़ाई का खर्चा निकालने से आगे बड़ी कमाई तक पहुंच गई है. स्टूडेंट्स अपना दम साबित कर रहे हैं, वह भी ऐसे नए आईडियाज को बदौलत.

2 comments:

हिन्दीवाणी said...

पेंटिंग के बारे में मेरी कोई गहन जानकारी नहीं है, लेकिन आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि इस ब्लॉग के जरिए कला की बारीकियों को बखूबी पहचाना जा सकता है।
राजनीति और तमाम अन्य विषयों पर लिखने वाले बहुत हैं लेकिन कलाकृतियों पर लिखने वाले उतने ही कम। उम्मीद है कि आपका यह ब्लॉग इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

हिन्दीवाणी said...

पेंटिंग के बारे में मेरी कोई गहन जानकारी नहीं है, लेकिन आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि इस ब्लॉग के जरिए कला की बारीकियों को बखूबी पहचाना जा सकता है।
राजनीति और तमाम अन्य विषयों पर लिखने वाले बहुत हैं लेकिन कलाकृतियों पर लिखने वाले उतने ही कम। उम्मीद है कि आपका यह ब्लॉग इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।